बिलासपुर। रतनपुर में राज्य का एकमात्र मां लक्ष्मी मंदिर स्थित है, जहां दीपावली पर महानिशा पूजन होगा। साथ ही मां की श्रृंगार सेवा व भोग सेवा भी होगी। इसमें मां का राजसी श्रृंगार होगा और 56 भोग अर्पित किया जाएगा। मां मध्य रात्रि तक अपने पूर्ण वैभव में भक्तों को दर्शन देंगी और पूरा मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग रहेगा।
मां लखनी(लक्ष्मी) मंदिर में रतनपुर की प्राचीन मंदिर इकबीरा पहाड़ी पर स्थित है। मां की पवित्र भाव से आराधना करने से दुख, दरिद्रता, रोग, शोक व त्रितापों का शमन होता है और जीवन में सुख-समृद्धि की आगमन होता है। देवी महालक्ष्मी मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
लखनी देवी शब्द लक्ष्मी का ही अपभ्रंश है। यह साधारण बोलचाल की भाषा में रुढ़ हो गया है। वहीं जिस पर्वत पर यह मंदिर स्थित है उसे इकबीरा पर्वत, वाराह पर्वत, श्री पर्वत व लक्ष्मीधाम पर्वत के नाम से जाना जाता है। मंदिर में मां लक्ष्मी(लखनी) अष्ट कमल दल में विराजमान हैं। वहीं मंदिर की आकृति शास्त्रों में वर्णित पुष्पक विमान के जैसा है और मंदिर के अंदर श्रीयंत्र उत्कीर्ण है। दीपावली पर जहां विशेष पूजन होता है।
राजा के मंत्री ने करवाया था निर्माण
इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर ने 1179 ईस्वी में करवाया था। जिस समय मंदिर का निमार्ण हुआ उस समय इसमें स्थापित देवी को इकबीरा देवी व स्तंभिनी देवी कहा जाता था। किवदंती के अनुसार राजा रत्नदेव तृतीय के 1178 में सिंहासन में विराजमान होते ही सारी प्रजा दुर्भिक्ष, अकाल व महामारी से त्रस्त हो गई थी और राजकोष भी खाली हो चुका था।
इस विकट परिस्थिति से निकले के लिए राजा के मंत्री पं.गंगाधर ने लक्ष्मी देवी मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के बनते ही अकाल व महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि व खुशहाली साम्राज्य में फिर से लौट आया।
धनतेरस व दीपावली पर विशेष पूजा
मंदिर में धनतेरस व दीपावली पर विशेष पूजन किया जाता है। मान्यता है कि यहां इस दिन पूजा करने से सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। वहीं मां का स्वर्ण आभूषणों से राजसी श्रृंगार होता है।
मंदिर तक जाने के लिए बनी हैं 259 सीढ़ियां
मां लखनी देवी(मां लक्ष्मी) के दर्शनों के लिए भक्तों को 259 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। संतोष शर्मा ने बताया कि मां के दर्शन मात्र से ही सभी के कष्ट दूर होते हैं। इस वजह से मंदिर में हमेशा ही भक्तों की कतार रहती है, लेकिन नवरात्रि और दीपावली में भीड़ देखते ही बनती है।
मां महामाया का भी होगा राजसी श्रृंगार
रतनपुर स्थित मां महामाया का भी राजसी श्रृंगार होगा। लगभग तीन किलो स्वर्ण आभूषणों से मां का श्रृंगार होगा। इसके साथ ही मां को 56 भोग अर्पित किया जाएगा।