नई दिल्ली। जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल गुरुवार को भारत पहुंचीं। शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक कार्यक्रम में उनका स्वागत किया गया और इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उनके मुलाकात की। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए जर्मन चांसलर ने कहा कि मैं भारत आकर बेहद खुश हूं। भारत और जर्मनी के बीच गहरे रिश्ते हैं। हमारे मन में इस बड़े देश के लिए सम्मान है।
मर्केल के इस तीन दिवसीय दौरे पर दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 20 से ज्यादा करार हो सकते हैं। मर्केल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात करेंगी। इसके बाद शनिवार को वो कारोबारी जगत प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात करने वाली हैं।
मर्केल के इस दौरे पर भारत और जर्मनी के बीच स्किल डेवलपमेंट, क्लाइमेट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर समझौते हो सकते हैं।
राष्ट्रगान में बैठी रह सकेंगी जर्मन चांसलर
दोनों देशों के राष्ट्रगान के दौरान बैठी रह सकेंगी। मर्केल की बीमारी को देखते हुए जर्मनी ने इसके लिए विशेष अनुरोध किया था, जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है। मर्केल को अनुमति देने के लिए राष्ट्र गान से जुड़े आदेश के कुछ खास प्रावधानों को लागू किया जाएगा। मर्केल दो दिन की भारत यात्रा पर गुरुवार की रात को नई दिल्ली पहुंच गई हैं। आधिकारिक तौर पर उनकी यात्रा शुक्रवार को शुरू हुई है। यात्रा के दौरान उनकी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होगी
दरअसल, राष्ट्रगान के प्रति सम्मान व्यक्त करना हर भारतीय का कर्तव्य है। राष्ट्रीय सम्मान का अपमान रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 3 के तहत राष्ट्रगान को चलाए जाने से रोकने या राष्ट्रगान के दौरान जानबूझ कर व्यवधान पैदा करने पर तीन साल कैद या जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
संविधान के अनुच्छेद 51-ए(ए) में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह “संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों व संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे
लेकिन इन किसी भी प्रावधानों में सम्मान व्यक्त करने के उचित तरीके को वर्णित नहीं किया गया है। साथ ही राष्ट्रगान के दौरान बैठे रहने या खड़ा होने के बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है।