फल फूल रहा आबकारी अधिकारियो का गोरखधंधा : घट रहा राजस्व

रायपुर : छत्तीसगढ़ के आबकारी में प्लेसमेंट कंपनी के साठगांठ से चल रहा है बड़ा खेल उच्च अधिकारियो के मिलितभगत से खेला जा रहा है PCM का खेल, अब आपको हम जरा विस्तार से बता दे कि ये खेल कैसे खेला जाता है दरसल बिना स्केनिंग किये हुए शराब, बड़े दुकानों में सीधे निर्माता कंपनी से पहुचती है. बड़ी दुकानों पर लगभग 400 पेटी देशी शराब मंदिरा वही छोटी दुकानों पर 200 पेटी 200 पेटी पहुचती है, जिसमे प्लेसमेंट कंपनी से लेकर आबकारी अधिकारियो का गोरखधंधा फल फूल रहा है जिसमे सबका अलग अलग कमीशन बंधा हुआ है ।

देश में अगर कहीं सबसे अधिक शराब खपत होती है तो वह छत्तीसगढ़ राज्य है छत्तीसगढ़ में शराब पीने वालों की संख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ती ही जा रही है पूर्व की बीजेपी सरकार के द्वारा शराब दुकानों का संचालन सरकार के द्वारा करने के निर्णय लेने के बाद शराब की बिक्री और सरकार के राजस्व में आश्चर्य जनक रूप से कमी आ रही है जो कि चौंकाने वाली भी है क्योकि एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की मानें तो छत्तीसगढ़ के 100 में से 32 लोग शराब पीने के आदी हैं, जो देश में सर्वाधिक है !

घटते राजस्व को देखकर ये बात सोचने वाली है कि क्या सर्वेक्षण की रिपोर्ट गलत है क्योंकि सर्वेक्षण में बताया गया है कि सबसे ज्यादा शराब पीने वाले छत्तीसगढ़ में है लेकिन इससे प्राप्त होने वाला घटता राजस्व कुछ और इशारा करता है क्या छत्तीसगढ़ में शराब पीने वाले कम हो गए?

ओवररेट

छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों की में  प्रिंट रेट से 10 रुपया से लेकर 40 रुपया तक अलग अलग ब्रांड के पीछे ओवररेट लिया जाता है अब समझ लेते है कि इन ओवररेट की कमाई की पैसा कहा जाता है और कितने राशि का अवैध वसूली होती है एक दुकान में अवैध वसूली लगभग 40 हजार से 50 हजार तक होती है वही राजधानी रायपुर की बात कर ले तो देशी व विदेशी मंदिरा 70 दुकान है पूरा राज्य की बात कर ले तो लगभग 900 सौ दुकान है अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी रायपुर में अगर 70 दुकान है तो प्रतिदिन की अवैध कमाई की बात कर ले तो लगभग 28 लाख रुपया की कमाई होती है वही पूरे छत्तीसगढ़ में 900 सौ दुकाने है तो करोड़ो रुपया की अवैध कमाई होती है अब इतनी बड़ी राशि जाती है कहा, तो इस बात की तफ्तीश करने हमारे टीम ने लगातर 2 महीने तक निरीक्षण किया तब पता चला प्लेसमेंट कंपनी के इशारे पर इतने बड़े मामला को अंजाम देते है ये पूरा पैसा कंपनी से लेकर आबकारी अधिकारियों में बट जाता है कुछ अधिकारी तो बाकायदा शराब दुकान तक अपनी अवैध पगार लेने पहुंच जाते है, और पगार मिल जाने पर कार्यवाही न करते हुए, सब ठीक चल रहा है  कि  मुहर लगा दी जाती  है । प्लेसमेंट कंपनी भी यही पैतरा अपनाता है। 

आंकड़े

आंकड़ों की माने तो राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में देशी शराब की खपत 2002-03 में जहां 188.12 लाख प्रूफलीटर थी, वह 10 साल बाद 2012-13 में 395.19 लाख प्रूफलीटर हो गई. वहीं जिस छत्तीसगढ़ में 130.04 लाख लीटर विदेशी शराब खपती थी, वहां अब यह बढ़कर 592.89 लाख लीटर हो गई जो की वर्ष 2015-2016 में 20 % और बढ़ गई थी.

2008-09 में आबकारी विभाग को 965.05 करोड़ रुपये की आय होती थी. जो 2010-11 में 1188.32 करोड़ रुपये हो गई. इसके बाद 2011-12 में इस आय में जबरदस्त उछाल आया और यह 1624.35 हो गया वही 2012-13 में आबकारी आय 2485.73 करोड़ जा पहुंची थी तब छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वाधिक राजस्व देने वाले विभागों में आबकारी विभाग को जाना जाने लगा था फिर अचानक ऐसा क्या हुआ की जब से सरकार खुद आबकारी विभाग के माध्यम से शराब दुकानों का संचालन करने लगी है तब से शराब की बिक्री घटने लगी है और राजस्व में कमी आने लगा है “हमारे न्युज टुडे7 की टीम ने विगत कुछ महीनो से इसका गहन सर्वेक्षण किया है जिसके चौकाने वाले नतीजे मिले है ?

सारा खेल चल रहा है (CSMCL) छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से जिसमे ये प्लेसमेंट एजेंसी सेल्स से लेकर बाँटने तक सारा काम करती हैं !

शराब की विनिर्मित कंपनी और बाटलिंग प्लांट से सारा खेल शुरु कर शराब वेयर हाउस तक पहुँचता है पूरा गेम ट्रांसपोर्टिंग से होता है शराब विनिर्मित कंपनी और बॉटलिंग प्लांट से ट्रांसपोर्टिंग के लिए 1 पास बनता है और उसमे 3 – 4 बार 1 ही ट्रांसपोर्टिंग पास मे शराब का परिवहन होता है ! जिसमे आबकारी विभाग का एक विस्वस्त ग्रुप सिंडिकेट के रूप में काम करता है जोकि CSMCL से जुड़ा हुआ रहता है और इसी कम्पनी की देखरख में सारे काम को अंजाम दिया जाता है जिलों में अपने प्रभारी अधिकारियो के माध्यम से वेयर हाउस से लेकर शराब दुकानों को ये ही संचालित करते है और शराब की खपत करते है ।

कार्यवाही नहीं

हाल ही में आरंग के लखोली में बिना स्केनिंग के लगभग 400 पेटी देशी मंदिरा की जानकारी मिली थी इस सम्बंध में जिला के आबकारी अधिकारी लखनलाल ध्रुव को इसके अलावा ऊपर के आला अधिकारियों को जानकारी दी गयी पर कार्यवाही करने नही गए खुद आरंग के प्रभारी उमेश अग्रवाल को फोन पर जानकारी दी गयी पर कोई भी अधिकारी नही पहुचे। जो कि दाल के काला होन के संकेत देते हैं।

जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग में कुछ बड़े एसोसिएट PCM के माध्यम से सरकारी राजस्व का बन्दर बाँट करने में लगे हुए है और इनका सहयोग नीचे से लेकर ऊपर तक एकदम ही निकट के लोग करते है यहाँ हम उदाहरण के लिए रायपुर जिले के आबकारी विभाग में हुए तबादले से बेहतर समझ सकते है | शासन से ट्रांसफर आदेश निकलने के बाद भी रायपुर मे आबकारी अधिकारीयों को रिलीव क्यों नहीं किया जा रहा है ? यह बात अनेको संदेह को जन्म देता है ! न्युज टुडे7 के टीम के पास और भी ऐसे कई तथ्य है जिसका खुलासा अगले अंक में सबूतों के साथ प्रकाशित किया जाएगा।

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