संसद का शीतकालीन सत्र: बेरोजगारी, महंगाई व आर्थिक सुस्ती पर घमासान के आसार, विपक्ष हुआ और मजबूत

  • सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न मुद्दों पर दिखेगी सियासी तपिश
  • सरकार और विपक्ष नागरिकता संशोधन बिल, आर्थिक सुस्ती, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आमने सामने है
  • विपक्ष की योजना सरकार को जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर घेरने की है
  • शिवसेना से नाता टूटने से बदलेगा संसद का नजारा
आज से शुरू हो रहे संसद का शीतकालीन सत्र विभिन्न मुद्दों पर सियासी तपिश झेलेगा। सत्र शुरू होने से पहले सरकार और विपक्ष नागरिकता संशोधन बिल, आर्थिक सुस्ती, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आमने-सामने है।

विपक्ष की योजना सरकार को जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर घेरने की है। जबकि सरकार राफेल सौदे पर शीर्ष अदालत से मिली क्लीन चिट पर पलटवार करने के साथ जम्मू-कश्मीर के मामले में आक्रामक रुख अपनाने पर अडिग है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे सत्र में शिवसेना के राजग से नाता तोडने केकारण संसद का नजारा बदला बदला सा होगा।

सत्र से पहले सरकार और विपक्ष ने एक दूसरे को घेरने और पलटवार करने की रणनीति बनाई है। विपक्ष ने आर्थिक सुस्ती के कारण घट रहे रोजगार के अवसर को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने का फैसला किया है। इसके अलावा विपक्ष की योजना सरकार को महंगाई, जम्मू कश्मीर की स्थिति, किसानों की दुरूह स्थिति जैसे मुद्दों पर घेरने की है।

दूसरी ओर सरकार ने राजग की बैठक बुलाकर विपक्ष को घेरने की रणनीति तैयार की। इस बैठक में राफेल सौदा मामले में राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग करने का फैसला हुआ। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमलावर रुख अपनाने की रणनीति बनाई है।

तब अनुच्छेद 370 अब नागरिकता संशोधन बिल

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला सत्र जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के कारण चर्चा में रहा। इस सत्र में सबकी निगाहें नागरिकता संशोधन बिल पर है, जिसे मोदी सरकार राज्यसभा में संख्याबल के अभाव में पारित नहीं करा पाई थी।
विपक्ष इस बिल को असंवैधानिक बता कर लगातार इसका विरोध कर रहा है। जबकि सरकार इसे हर हाल में पारित कराने पर अडिग है। दरअसल इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से निर्वासित-प्रताड़ित हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और ईसाईयों को सहज नागरिकता दिये जाने का प्रावधान है।

विपक्ष का कहना है इसमें मुलसमानों को शामिल नहीं करना असंवैधानिक है। सरकार इसी सत्र में बिल को पेश कर कानूनी जामा पहनाने के लिए अडिग है।

इन बिलों पर भी होगी नजर

नागरिकता संशोधन बिल के अलावा इस सत्र में डाक्टरों को हिंसा से बचाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा एवं संपत्ति क्षति निषेध) बिल पेश किया जाना है। इसमें डाक्टरों के खिलाफ हिंसा करने पर 10 साल तक की जेल का प्रावधान है।

इसके अलावा राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए बिल पेश किया जाना है। इस बिल में प्रदूषण फैलाने पर 5 साल तक की जेल और 50 करोड़ रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी सत्र में सरकार ई सिगरेट पर पाबंदी और कॉरपोरेट टेक्स में बदलाव के लिए जारी अध्यादेश पर भी बिल पेश करेगी।

विपक्ष की बेंच पर होगी शिवसेना

शिवसेना-भाजपा का तीन दशक पुराना साथ छूटने का असर संसद के दोनों सदनों में दिखाई देगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि दोनों ही सदनों में शिवसेना को विपक्षी बेंच में बैठने की व्यवस्था की जाएगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने राजग से नाता तोड़ लिया है। पार्टी के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने पिछले हफ्ते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

पहले सत्र में टूटे थे कई रिकार्ड

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में दोनों सदनो में रिकार्डतोड़ काम हुआ था। इसी सत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। लोकसभा में कई दिनों तक देर रात तक कार्यवाही चली थी।

बैठकों का दौर

सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। रविवार को सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें 27 दलों ने हिस्सा लिया।

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