असम के जंगली इलाके में कुछ सप्ताह पहले एक मादा हाथी और उसके बच्चे की ट्रेन से कटकर हुई मौत मामले में राज्य के वन विभाग ने कड़ा कदम उठाया है. कुछ सप्ताह पहले हुए इस हादसे में 35 साल की मादा हाथी और उसके बच्चे की मौत हो गई थी. हाथी के बच्चे का कंकाल घटना स्थल से करीब एक किमी दूर मिला था. अब वन विभाग ने उक्त रेल इंजन को जब्त कर लिया है. दरअसल, हाथी और उसके बच्चे के कंकाल के बीच एक किमी की दूरी होने के बाद वन विभाग इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि जंगली इलाके में निश्चित गति सीमा से काफी तेज गति से ट्रेन चल रही थी
यह नियमों के खिलाफ है. इस इलाके में हाथी और अन्य वन्य जीवों की मौदूजगी को देखते हुए यहां से गुजरने वाली रेल पटरियों पर ट्रेनों की गति सीमा तय की गई है. इस बारे में एनडीटीवी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
हालांकि उत्तर फ्रंटियर रेलने ने कहा कि रेल इंजन को जब्त करने की कार्रवाई केवल एक प्रक्रियागत जरूरत है. एनडीटीवी की खबर के मुताबित उत्तर सीमांत रेलवे ने कहा कि यह अपने तरह का पहला हादसा नहीं है. मामले की जांच के लिए इंजन को जब्त करने की कार्रवाई प्रक्रियागत थी. कोई ऑपरेशन परेशानी नहीं है और रेलवे इस इंजन का इस्तेमाल कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक यह हादसा 27 सितंबर को हुआ था. असम के वन विभाग के अधिकारियों ने रेल इंजन को मंगलवार को अपने कब्जे में ले लिया.
असम के वन मंत्री परिमल सुक्लबिद्या ने कहा कि रेलवे इस ट्रेन से जरिए अपनी परियोजनाओं के लिए माल की ढुलाई का काम करता है. हादसे के वक्त इसकी गति काफी अधिक थी. इस कारण ट्रेन रुक नहीं सकी.
उन्होंने कहा कि जब वन विभाग के कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां पर 35 वर्षीया एक मादा हाथी का कंकाल पड़ा था, वहां के करीब एक किमी की दूरी पर एक साल के हाथी के बच्चे का कंकाल था.
इसके बाद वन विभाग ने वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत इस मामले की जांच की और पाया कि हादसे के वक्त ट्रेन की इंजन की गति काफी ज्यादा थी. इसके बाद वन विभाग की एक टीम ने बामूनिमैदान लोकोमोटिव शेड से इंजन को जब्त कर लिया.
रेलवे ने कहा कि इस घटना के बाद उक्त इंजन के चालक और सह चालक को सस्पेंड कर दिया गया है. हालांकि बाद में जब्त इंजन को रेलवे को वापस कर दिया गया. इसके बदले रेलवे ने वन विभाग को 12 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति करने की बात कही है.