नई दिल्ली. कपिल देव (Kapil Dev) ने साल 1983 में अपनी कप्तानी में पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) को वर्ल्ड चैंपियन (World Champion) का तमगा दिलवाया था. वो भी तब जबकि टीम इंडिया (Team India) खिताब की दावेदारों में थी ही नहीं. मगर वो कप्तानी का उनका अंदाज ही था, जिसने पूरी दुनिया को बता दिया कि भारतीय क्रिकेट टीम को हल्के में लेने की भूल बहुत भारी पड़ सकती है. यही वजह रही कि क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज की टीम को लॉर्ड्स में खेले गए 1983 वर्ल्ड कप फाइनल (1983 World Cup Final) में 43 रन से हार का सामना करना पड़ा. मगर बतौर कप्तान कपिल देव के लिए भी ये काम इतना आसान नहीं था.
कपिल देव (Kapil Dev) को सितंबर 1982 में ही भारतीय टीम (Indian Team) की कप्तानी सौंपी गई थी. तब वह महज 23 साल के थे. हाल ही में आयोजित हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि इस बड़ी जिम्मेदारी ने उन्हें जहां खुशी दी, वहीं काफी डरा भी दिया था. कपिल देव ने इंडिया टुडे से कहा, ‘कई बार आपको वक्त से पहले काफी कुछ मिल जाता है आपको बाद में इसका अहसास होता है. मैं तब 23 साल का था जब मुझे टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. मैं काफी डर गया था, साथ ही खुश भी था. मैं ये सोचकर डर रहा था कि इतने सीनियर खिलाड़ियों को किस तरह संभालूंगा. मगर मैं खुश था कि चयनकर्ताओं ने मुझे इस काबिल समझा.
भारतीय टीम (Indian Team) के बेहतरीन ऑलराउंडर कपिल देव (Kapil Dev) ने कहा कि तब मेरी टीम में कई ऐसे खिलाड़ी थे जो मेरे आदर्श थे. उनकी कप्तानी करते हुए मैं कुछ हद तक नर्वस था. ये काफी अजीब अहसास था. इसलिए वो वक्त बेहद मुश्किल था. मैं सिर्फ एक ही बात सोचता था कि मैदान पर मैं कप्तान हूं, लेकिन मैदान के बाद वो सभी मेरे कप्तान हैं. कपिल देव ने 74 वनडे में टीम की कप्तानी की, जिसमें से 39 में उसे जीत मिली. कपिल देव की कप्तानी में मिली वर्ल्ड कप जीत को लेकर एक फिल्म भी बन रही है, जिसमें अभिनेता रणवीर सिंह कपिल देव का किरदार निभा रहे हैं. इस बारे में कपिल देव ने कहा कि ये फिल्म मेरे बारे में नहीं हैं. बल्कि हमारी वर्ल्ड कप की खिताबी जीत के बारे में है.