卐 जय महाकाल 卐
प्रिय पाठको,
रत्नों की श्रृंखला में आज हम केतु के प्रिय रत्न लहसुनिया के बारे में जानेंगे।
केतु एक छाया ग्रह है केतु व्यक्ति के जीवन मे मोक्ष प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है किसी भी व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्त प्रकार की तांत्रिक प्रक्रियाओं का संचालन केतु के द्वारा ही संभव है छाया ग्रह से तात्पर्य है की इस ग्रह का अपना कोई स्वरूप नहीं है यह जिस ग्रह के साथ बैठता है वैसा ही फल देने लग जाता है अथवा राशि में राशि अनुसार फल प्रदान करता है।
केतु ग्रह दर्द का कारक ग्रह माना गया है व्यक्ति के जीवन में अचानक से पेट से संबंधित दर्द अथवा शरीर में जोड़ों में दर्द केतु के द्वारा ही प्रदान की जाती है अगर केतु छठे घर से संबंध बना ले तो व्यक्ति के जीवन में रोग को समझ पाना मुश्किल हो जाता है सभी प्रकार के डायग्नोस भी बीमारी को डायग्नोस नहीं कर पाते हैं।
केतु ग्रह राहु के साथ मिलकर व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण करता है जो कि व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक मात्रा में संघर्ष प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है यह व्यक्ति को दुनियादारी से दूर एकांत में ले जाने वाला ग्रह है केतु व्यक्ति के कुंडली में लग्न अथवा केंद्र मैं स्थित होने पर व्यक्ति को ऊंचाई अथवा काफी नीचे में ले जाता है।
केतु ग्रह जिस व्यक्ति के लग्न को प्रभावित करें उस व्यक्ति को समझ पाना अत्यंत कठिन हो जाता है, व्यक्ति अपने संपूर्ण जीवन में लोगों के लिए शंका का कारण बना रहता है। केतु ग्रह के बारे में माना गया है की कैत छुड़ा वे खेत अर्थात केतु जिस घर से संबंध बनाता है उसकी वस्तुओं को जीवन से हटा देता है अब किसी भी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव से संबंध बना ले तो ऐसा व्यक्ति जीवन भर कार्यक्षेत्र में स्थायित्व नहीं पा पाता।
केतु ग्रह के बारे में ऐसा माना जाता है की जिस ग्रह के साथ यह बैठ जाता है उसके प्रभाव में कई गुना वृद्धि कर देता है अगर केतु का संबंध दूसरे भाव से बनता है तो ऐसा व्यक्ति गंदी भाषा का प्रयोग करने वाला माना गया है तीसरे घर में केतु बैठकर भाग्य की हानि तथा मेहनत का फल नहीं मिलने देता। अगर किसी व्यक्ति के जीवन में नाभि से नीचे किसी भी प्रकार की प्रॉब्लम है दर्द है घुटनों में जोड़ों में दर्द की समस्या है वह नीचे नहीं देख पा रहा है तो सीधे तौर पर उसका केतु खराब चल रहा है ऐसी स्थिति में उपाय के द्वारा समस्या के निदान पाया जा सकता है।
ऐसी तमाम प्रकार की परिस्थितियों से बचने के लिए केतु का प्रिय रत्न लहसुनिया जिसे कैट्स आई भी कहते हैं धारण करने से केतु के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है अगर केतु कुंडली में खराब प्रभाव दे रहा है तो धार्मिक स्थल में लहसुनिया रत्न को दान करने से भी अच्छा फल देता है।
लहसुनिया जिसे कैट्स आई के नाम से भी जाना है जाता है यह एक बहुत ही सरल पत्थर है यह स्टोन बिल्ली की आंख के समान दिखाई देता है इसलिए इसे कैट्स आई भी कहते हैं इस स्टोन में बीच में एक धारी होती है जोकि स्टोन को देखने पर चलती हुई नजर आती है।
प्रिय पाठकों यह तो रही केतु के प्रिय रत्न लहसुनिया के बारे में जानकारी, अब हम आपको बताएंगे की इसे चांदी में शनिवार के दिन धारण करना चाहिए तथा केतु के नक्षत्र वाले दिन धारण कर सकते हैं। इसी स्टोन में केतु के बीज मंत्रों का जाप कर प्राण प्रतिष्ठा के द्वारा धारण करना चाहिए इस रत्न को बिना ज्योतिष सलाह के कभी भी धारण नहीं करें। इस रत्न को धारण करने के बाद व्यक्ति भीड़-भाड़ से दूर एकांत में रहने की कोशिश करता है सारी परिस्थिति तथा केतु की स्थिति के अनुसार ही ज्योतिषीय गणना के द्वारा ही लहसुनिया धारण करना चाहिए।
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Astro Raju chhabra(devendre singh)
“”Kundli specialist”” Falit jyotish
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